शनिवार, ६ मार्च, २०२१

अष्टाक्षरी आनंदाच्या गावा जाऊ

शब्दसेतू साहित्य  मंच

*आनंदाच्या गावा  जाऊ*


वसलेले एक गाव
जाऊ मिळूनिया सारे  
आहे गाव मनोहर
चमकते पहा तारे

कशी कालची कलिका
उमलली हळुवार 
केला परिसर सारा
 सुगंधित अलवार


 झाली गंधित पहाट
वारा लागे कुजबुजू
पाखरांची किलबिल
झाल बघा झुंजूमुंजू


कशी उडती रांगेत
आभाळात  दिसे  नक्षी
जणु माळ ओवियली
मनोहर दिसे पक्षी

शोधा मोद दडलेला
आहे   तो चरा चरात
 फुले  पाहताच वाटे
 सदा आनंद मनात


कसे निरागस हास्य 
दिसे  बाळ  मुखावरी
हासे हात पसरुनी
किती गोड  पहातरी

 हीच  आनंदाची सारी
गावे आहे सभोवती
चला  जाऊयाआपण  
 घेता समजूनी महती


वैशाली वर्तक

शुक्रवार, ५ मार्च, २०२१

गृहीणी



पेलते जवाबदारी घराची
 प्रवेशिते माप ओलांडूनी 
होते पती गृही गृहिणी
वावरते लाजूनी लाजूनी

तीच सावरे  घराला
 मोठा  तिचाच आधार 
घरपण देते घराला
 पेलून कुटुंबाचा भार

पै पाहुण्यांचा करते आदर
किती रुपात वसे गृहिणी 
चिंता तिला सा-या घराची
कधी बहिण ,आई, वा  वहिनी

आधुनिक गृहिणी तर
आहे शिक्षीत कर्तृत्वान
संभाळुनी घरपणाला
जगात  मिळवे  सन्मान .

 गृही  नसता गृहिणी 
घर भासे लगेच भकास
जाते   घराची शोभा
 कुटुंबजन होतात उदास

वैशाली वर्तक

पुस्तक (पंचाक्षरी)

रोही पंचाक्षरी समूह आयोजित 
रोही पंचाक्षरी काव्य स्पर्धा

विषय - पुस्तक

करा वाचन
सदा पठण
ते अज्ञानाचे
करे हरण          1


ज्ञानाची खाण
अगाध छान
पुस्तकातील 
घ्यावे हो ज्ञान       2

वाचावे ग्रंथ
सांगती संत
मिळवा ज्ञान
मिळे सुपंथ         3

मनीची आस
हवा हो ध्यास
वाचनालय
त्यासाठी खास      4

नसे लहान
असे महान
पुस्तकं देते
जगी सन्मान      5

असे सोबती
करी गंमती
वाचनासाठी
नको संमती        6

मनोरंजन
बुध्दी व्यंजन
ज्ञान वर्धन
मानती जन           7

येताची घरी
पुस्तक  करी
आनंद वाटे
तो क्षणभरी    8

वैशाली वर्तक

गुरुवार, ४ मार्च, २०२१

पंचाक्षरी ऋतु वसंत

 





रोही पंचाक्षरी
विषया -- ऋतु वसंत
वसंत

येता बहर
 फिरे नजर 
पानो पानात 
भासे कहर                 1

नवी पालवी 
सृष्टी  खुलवी
 ऋतु वसंत 
मना मोहवी               2



सदा असावा
मनी ठसावा
वसंत ऋतु 
तो आठवावा             3

कोकील गान 
 हरपे भान 
 वसंतातील 
ऐकावे छान               4

मंद पवन  
वनी  गुंजन
सहा ऋतुचे 
ऐकू कथन                5


नूतन वर्ष  
मनात हर्ष 
येता वसंत
हा परामर्श              6

तो ऋतुराज
वेगळा साज
ऋतू  वसंत
दिसतो  आज        7


धन्यवाद  गुरुजी





मंगळवार, २ मार्च, २०२१

आंगण

असे छोटेसे अंगण
पहा कसे ऐटदार
 शोभा वाढवी घराची
 दिसे सदा शानदार

दारी  उभी बोगन
स्वागताला अंगणात
येता जाता देई छाया
खुश होतात  मनात

पुढे झेंडू बहरला
सदा झुकवून मान
फुले येती बारमास 
पाकळ्यांची पहा शान

औषधाला सदा राखली
दाट जाड पाने ओव्याची
पालक हिरवा डुलतो
पालेभाजी मिळे अंगणाची

जुई  लवुन खिडकीत 
सुंगध पसरवे गात गाणी
माहेराच्या अंगणात
डौलात उभी रातराणी

मधोमध झुलतो झुला
आठवांचा तो पसारा
मस्त  बसून जाते रंगून 
देतो सदा सुखद शहारा

वैशाली वर्तक

सोमवार, १ मार्च, २०२१

गीत...भावगीत भेट आठव आपुली

भेट आठव आपुली, चंद्र  साक्षीत घडलेली   16
  हाती घेवूनीया हात वचने ती  दिधलेली   16


    गंध  येई सुमनांचा थंड हवेचा  गारवा       16
धुंद रात्री मिळुनिया, गोड गायिला मारवा      16
किती  मधुर सुरात चांदरात  रंगलेली   16
          भेट स्मरे अपुली, चंद्र  साक्षीत घडलेली   16

  फुले  हसली गंधित पाहूनी अबोल प्रीत   16  
  वदली  ती हळुवार  ,  हीच असे प्रेम रीत   16 
  ऐकून शब्द कानी,   अलवार  उमलली   16
    भेट स्मरे अपुली, चंद्र  साक्षीत घडलेली   16

 अवचित आलो  आज   चंद्र  पहा तो  हसला    16
आठवून ती रात्र, वृक्ष  फुलांनी बहरला   16         
तया आपुली प्रीती ही , मनातून  स्मरलेली  16
भेट स्मरे अपुली, चंद्र  साक्षीत घडलेली   16

  .....वैशाली वर्तक10/11/20

रविवार, २८ फेब्रुवारी, २०२१

पंचाक्षरी ऋतु वसंत

रोही पंचाक्षरी
विषया -- ऋतु वसंत
वसंत

येता बहर
 फिरे नजर 
पानो पानात 
भासे कहर                 1

नवी पालवी 
सृष्टी  खुलवी
 ऋतु वसंत 
मना मोहवी               2



सदा असावा
मनी ठसावा
वसंत ऋतु 
तो आठवावा             3

कोकील गान 
 हरपे भान 
 वसंतातील 
ऐकावे छान               4

मंद पवन  
वनी  गुंजन
सहा ऋतुचे 
ऐकू कथन                5


नूतन वर्ष  
मनात हर्ष 
येता वसंत
हा परामर्श              6

तो ऋतुराज
वेगळा साज
ऋतू  वसंत
दिसतो  आज        7


धन्यवाद  गुरुजी

कष्टाचे चीज

कष्टाचे चीज      खरच त्यावेळी कापड गिरण्या जोरात चालायच्या.व नोक-या पण  मिळत होत्या.. जे कष्ट करण्यास तयार होते.त्यांना कष्ट करुन खरच शुन्या...