गुरुवार, ९ मार्च, २०२३

सहाक्षरी रंगाची दुनिया !! आयुष सप्तरंगी. !रंग नव्या उमेदीचा

 *स्पर्धेसाठी रचना*

रंगोत्सव महास्पर्धा

कल्पतरू जागतिक साहित्य समूह व

सावली प्रकाशन यांच्या विद्यमाने रंगोत्सव महास्पर्धा


विषय...रंगांची दुनिया

सहाक्षरी रचना

9/3/23


शीर्षक..रंगात रंगूया



 जगण्या  आनंदी 

 रंगूया   रंगात

रंगची   देतात 

 मोद जीवनात         1


निसर्ग दावितो 

 रंगाची दुनिया   

 रंगे परिपूर्ण  

रंगाची किमया       2. 


येता रवीराज

 गगन केसरी

सडे केशराचे

 सकाळ हासरी.   3


विविध रंगात    

फुललेली  फुले 

झुळूके सरशी

 पहा कशी डुले.     4


मध्यान्ही प्रकाश

तप्त लाल रंग  

भासतो प्रखर  

लाही लाही अंग    5


मावळतीकडे 

रंगची आगळा  

सोज्वळ शांतता  

दिसतो वेगळा       6


भरलेच रंग 

 निसर्गात सारे

 रंगीत दुनिया 

  इंद्रधनु न्यारे     7 



वैशाली वर्तक 



*आयुष्य सप्तरंगी*

जीवन करण्या  सप्तरंगी

करा उधळण रंगाची

जगुया आनंदी स्वच्छंदाने

गाऊया गीते आनंदाची


रंगची देती मोद जीवा

पहाताची मन होते दंग

किती मोहक दिसतात

एकाहून एक सुंदर  रंग


सृष्टी ने केली उधळण 

येताच हा ऋतू  वसंत

नानारंगी फुले फुलवून

फूले फुलवण्या नसे उसंत



सूर्य  येता  प्रभाती नभी

दिसे छटा  केशरी रंगाची

होतो आनंद जन मनाला

पाहू रंग उधळण आनंदाची


मिळाला जन्म मानवाचा

करु सोने  आयुष्याचे

कशाला खंत निराशा मनीं

रंग उधळूया आनंदाचे



वैशाली वर्तक

अहमदाबाद 

स्पर्धेसाठी रचना

                रंगोत्सव महास्पर्धा

               कल्पतरू जागतिक साहित्य समूह व

                सावली प्रकाशन यांच्या विद्यमाने रंगोत्सव महास्पर्धा

                 10/3/23

                विषय ...रंग नव्या उमीदेचा

                शीर्षक ....सप्त रंगी जीवन

                


                 बहुरंगी जीवन हे 

                हवे तसे  भरा रंग

                 रंग भरता आनंदे

               व्हावे जीवनात दंग


                होता सोनसळी उषा

               रंग चढे उत्साहाचा

              देई मना नव्या दिशा

                सोहळाच चैतन्याचा


               नभी येता रवीराज

               देती ऊर्जा आपल्याला 

                कार्यरत राहू कामा 

                वेग येई  उत्कर्षाला


               रंग जीवनी नभीचे 

               संध्याकाळी  मोद उरी

               शांत सोज्वळ ती सांज

               ओढ भेटण्याची घरी


              सुख दुःख जीवनात 

              समाधान राखा मनी

              आहे जीवन रंगीत

               करु सार्थ क्षणोक्षणी


           वैशाली वर्तक

अहमदाबाद





वाटे तुलाच पहावे (ओळ काव्य)

ओळ कविता....
 "  वाटे तुलाच पहावे"

झाली नजरा नजर
होता अवचित भेट
ओढ लागली मनास
भरलीच  मनीं थेट

पुन्हा पुन्हा पहाण्यास
शोधू लागलो बहाणा
माझे मजला कळेना
कधी  झालो मी दिवाणा

वाटे तुलाच पहावे
चाले  हा मनाचा खेळ
मन गुंतले तयात
कसा जमवावा मेळ

भाषा तुलाही प्रेमाची
वाटे तुज उमजली
छंद जीवास जडला
कळी माझीही खुलली


  वाटे नयनी ठसावे
चित्ती तुझ्याच उरावे
सुरु शब्दाविण खेळ
वाटे तुलाच पहावे.

वैशाली वर्तक  20/9/2019

परिपूर्ण संसार विषय - तुझ्या माझ्या संसाराला आणि काय हव

अ भा मसा प ठाणे जिल्हा समूह 1
विषय - तुझ्या  माझ्या  संसाराला आणि काय हव
       परिपूर्ण  संसार
  माझ्या मनीच्या इच्छा 
केल्या पूर्ण  सहजीवनी
 साथ  तुझी  मिळता
 भाग्यवान वाटे मनी

भाव मम अंतरीचे
तू सदैव जाणिले
सहज देत हात हाती
सप्त रंगी रंगविले


सहवास तुझा माझा
प्रीत गंध पसरला
एकमेका देत साथ
संसार ही फुलवला

झाले मनाने संतृप्त
काही न उरे मागणे
असेचा सुख नांदो
हेची देवास सांगणे

वैशाली वर्तक 
अहमदाबाद

कष्टाचे चीज

कष्टाचे चीज      खरच त्यावेळी कापड गिरण्या जोरात चालायच्या.व नोक-या पण  मिळत होत्या.. जे कष्ट करण्यास तयार होते.त्यांना कष्ट करुन खरच शुन्या...