शुक्रवार, १९ ऑगस्ट, २०२२

बीज अंकुरे अंकुरे

विषय- बीज अंकुरे अंकुरे

     बरसता वर्षा धारा
     रान झाल ओल चिंब
     थेंब मुरता मातीत
    ऊभारुन आले कोंब

    कोंबातून डोकवती
    ईवलीशी दोन पान
    वा-यासंगे देती टाळी
     गात समृध्दीचे गान

     बीजे अंकुरे अंकुरे
     छोटी झाली पहा रोप
     नभाकडे पहाताती
     देण्या शिवारा निरोप

      शेते हिरवी दिसती
      किती पहा ती रेखीव
      जणु रेखाटल्या कोणी 
      ओळी हिरव्या आखीव
    
      दिसे सर्वत्र  हिरवे
      जणु  पाचू पसरले
      बळी राजा सुखावला
      मन प्रसन्न  जाहले

वैशाली अविनाश वर्तक
 

         



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