मंगळवार, १७ नोव्हेंबर, २०२०

अष्टाक्षरी शारद चांदरात /कोजागिरी पौर्णिमा / कोजागिरीचा चंद्र

काव्य स्पंदन राज्य स्तरीयष समूह 02
दैनिक  उपक्रम
विषय -- शारद चांदरात

*शारद चांदरात* आज                          
चला करुया साजरी
रुप निहाळूया तिचे
रात्र चंदेरी लाजरी
            चंद्र चांदण्यांचा चाले
            खेळ नभी लोभनीय
            रूप खुले चंद्रा सवे
             यामिनीचे रमणीय
चांदणे *शरद चांदरात* चे
 मोहाविते जन मना
 एक एक तारिका त्या
आकर्षिती क्षणा क्षणा
           प्रकाशित आसमंत
            चंद्र तारे गगनात
            पौर्णिमेची रात्र सारे
            घालविती आनंदात 
पौर्णिमेला चंद्रातूनी
ऊर्जा ,स्वास्थ्याचे शिंपण
सोळा कला युक्त चंद्र
कोजागिरी ही आंदण

वैशाली वर्तक
अहमदाबाद 
8141427430


कल्याण  डोंबिवली महानगर २
आयोजित 
काव्य लेखन 
पौर्णिमेचा चंद्र 

शारद चांदरात

*शारदात चांदरात*                       
चला करुया साजरी
रुप निहाळूया तिचे
रात्र चंदेरी लाजरी
            चंद्र चांदण्यांचा चाले
            खेळ नभी लोभनीय
            रूप खुले चंद्रा सवे
             यामिनीचे रमणीय
चांदरात  चांदण्यांची
 मोहाविते जन मना
 एक एक तारिका त्या
आकर्षिती क्षणा क्षणा
           प्रकाशित आसमंत
            चंद्र तारे गगनात
            पौर्णिमेची रात्र सारे
            घालविती आनंदात 
पौर्णिमेला चंद्रातूनी
ऊर्जा ,स्वास्थ्याचे शिंपण
सोळा कला युक्त चंद्र
कोजागिरी ही आंदण

वैशाली वर्तक 
अहमदाबाद

उपक्रम  12/10/2019

कोजागिरी पौर्णिमा 

आली शरद पौर्णिमा 
चला करुया साजरी
रुप निहाळूया तिचे
रात्र चंदेरी लाजरी
          चंद्र  चांदण्यांचा चाले
           खेळ नभी लोभनीय
           रूप खुले चंद्रा  सवे
           यामिनीचे  रमणीय
शुभ्र टिपूर चांदणे
मोहाविते जन मना
एक एक तारिका त्या
आकर्षित  क्षणा क्षणा
           प्रकाशित  आसमंत
            चंद्र तारे  गगनात
             पौर्णिमेची रात्र सारे
              घालविती आनंदात
पौर्णिमेला  चंद्रातूनी
ऊर्जा  ,स्वास्थ्याचे शिंपण
सोळा कला युक्त चंद्र 
कोजागिरी ही आंदण

वैशाली वर्तक......12/10/2019


तारांगणण
अ भा म सा प ठाणे जिल्हा 2
विषय - तारांगण

काळ्या काळ्या नभी
चमचम करती तारे
काही लुकलुकणारे तर
काही प्रकाशती  सारे

होता अस्त रवीराजे
  नभांगणी उगवती
सवे येती लाजत इवल्या
तारिका चांदण्या सभोवती
                          
येता शरद पौर्णिमा
करीती आनंदे साजरी
रुप निहाळती तिचे
रात्र असे चंदेरी लाजरी

   चंद्र चांदण्यांचा चाले
    खेळ नभी लोभनीय
    रूप खुले चंद्रा सवे
    यामिनीचे रमणीय

  शुभ्र टिपूर चांदणे
 मोहाविते जन मना
 एक एक तारिका त्या
आकर्षित क्षणा क्षणा

           
वैशाली वर्तक 
अहमदाबाद




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