बुधवार, ३१ मे, २०२३

शामलाक्षरी... निसर्ग

*स्पर्धेसाठी*
कमल विश्व राज्य स्तर स्पर्धा साहित्य समूह आयोजित
बुधवार दिनांक 31/5/23 मासिक
भव्य राज्यस्तरीय काव्य लेखन स्पर्धा
विषय. निसर्ग
शामलाक्षरी काव्य प्रकार 
वर्ण    10
      *जादुगार विश्वंभर*


किमया  पहा विश्वंभराची 
केली निसर्ग सृष्टी तयार
किमया करुन नसे भ्रांत
सुख देतो आपणा  अपार.           1


मित्र चढवितो त्याचा पारा 
येता मध्यांनी  तो डोक्यावर
मित्र उच्च  पदावर जाता
बिघडतो  बोल खरोखर.          2


जीवन आहे निसर्ग दत्त 
तरी सदा तेची अनमोल
जीवन जगण्या  सर्वांसाठी
अती आवश्यक ,जाणा  मोल.        3

धरा पहा किती भेगाळली.  
साहूनीया तप्त उन्ह झळा
धरा धीर मनात जरासा       
 पाऊस सारील अवकळा.                4


कर जोडू  सदा निसर्गास      
तोची असतो आपला देव
कर जतन पर्यावरण        
तीच आहे अमुल्य ठेव.          5


कळी टपोरी ती गुलाबाची   
होती शोभिवंत  रोपावर 
कळी फुलली चेह-यावर       
हास्य उमटले मुखावर.      6

वैशाली वर्तक
अहमदाबाद

1किमया. जादू.. चमत्कार 
2मित्र...   सूर्य.  दोस्त सवंगडी
3जीवन. ..जल... आयुष्य 
4धरा ... अवनी. धरणे बाळगणेचे          आज्ञार्थी रूप 
5कर.   हात. करणएक्रइयआपदआचए आज्ञार्थी रुप
6कळी.  पुसायची एक अवस्था..कळी फुलली.  स्मित हास्य

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