गुरुवार, ७ जानेवारी, २०२१

क्षणभर थांब/ घे मना क्षणभर विश्रांती

काव्य स्पंदन  राज्यस्तरीय  समूह 02
काव्य स्पंदनी रविवारीय  स्पर्धा
काव्य प्रकार - षडाक्षरी 
विषय - क्षणभर थांब 

     *निवांत*
किती पळशील
 सदा जीवनात
क्षणभर थांब
जरा निवांतात      1

बघ उगवता
सूर्य  गगनात
निहाळ तयाच्या
प्रभा आनंदात       2

पहा झुळुझुळु
वाहे तो निर्झर
 निनाद ऐकण्या
थांब   क्षणभर      3

सांजवेळी बघ
नभातील पक्षी
किती मनोहर
दिसतेय नक्षी        4

येता रवी  नभी 
कळ्या अलवार
फुलूनी डौलती
 फुले  हळुवार       5

बघ ही किमया
पहा  खरोखर 
क्षणभर थांब
आहे मनोहर          6
 

वैशाली वर्तक
अहमदाबाद







विश्व शारदा सा म ( गुजरात)
ओळ काव्य लेखन उपक्रम
ओळ - घे  मना क्षणभर विश्रांती

      *क्षण निवांताचा*

*घे मना  क्षणभर*
विश्रांतीचा* वेळ
निर्भेळ आनंद
जुळवावा मेळ

किती पळशील
 सदा जीवनात
क्षणभर थांब
जरा निवांतात      

बघ उगवता
सूर्य  गगनात
निहाळ तयाच्या
प्रभा आनंदात       

पहा झुळुझुळु
वाहे तो निर्झर
 निनाद ऐकण्या
थांब   क्षणभर      

सांजवेळी बघ
नभातील पक्षी
किती मनोहर
दिसतेय नक्षी       

येता रवी  नभी 
कळ्या अलवार
फुलूनी डौलती
 फुले  हळुवार      

बघ ही किमया
पहा  खरोखर 
क्षणभर थांब
आहे मनोहर          


वैशाली वर्तक
अहमदाबाद






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